
पचपदरा (बाड़मेर) स्थित एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी के शुरू होने की तारीख को लेकर राजस्थान की राजनीति में फिर उबाल आ गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीपसिंह पुरी ने रविवार को रिफाइनरी का दौरा कर दावा किया कि यह इसी साल शुरू हो जाएगी।
हालांकि, भाजपा सरकार के इस दावे पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बाड़मेर-बालोतरा सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने जोरदार हमला बोला है। दोनों कांग्रेस नेताओं ने परियोजना में भारी देरी और लागत वृद्धि को लेकर सरकार की मंशा पर संदेह जताया है।
गहलोत का सवाल: तारीख पर ‘आश्चर्यजनक चुप्पी’ क्यों?
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर ट्वीट कर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि 2025-26 की बजट घोषणा संख्या 158 में रिफाइनरी का उत्पादन अगस्त, 2025 से शुरू होने का वादा किया गया था, लेकिन सीएम शर्मा और केंद्रीय मंत्री पुरी के बयानों/सरकारी प्रेस नोट में ‘उत्पादन शुरू करने की तारीख का कोई जिक्र नहीं’ होना ‘आश्चचर्यजनक चुप्पी’ है, जो संदेह पैदा कर रही है।
गहलोत ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के दौरान, कोविड के बावजूद, 80% से अधिक काम पूरा कर लिया गया था। उन्होंने भाजपा की ‘लेटलतीफी’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले 2013-18 और अब 2023 से हो रही देरी के कारण 37,000 करोड़ रुपए की परियोजना की लागत बढ़कर लगभग एक लाख करोड़ के पार जा चुकी है। उन्होंने सवाल किया, “डबल इंजन की सरकार के बावजूद रिफाइनरी का काम धीमा क्यों चल रहा है?”
सांसद बेनीवाल का दावा: अभी लगेंगे ‘दो से ढाई साल’
बाड़मेर के सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने एक प्रेस वार्ता में सरकार के दावों को पूरी तरह से फेल बताया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि रिफाइनरी शुरू होने में अभी कम से कम दो से ढाई साल का समय और लगेगा, यानि यह 2028 से पहले पूरी नहीं होगी।
सांसद बेनीवाल ने आरोप लगाया कि सीएम और मंत्री हर विजिट पर ‘तारीख पर तारीख’ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि परियोजना की शुरुआती लागत 43 हजार करोड़ थी, जो अब 1 लाख करोड़ से ज्यादा हो चुकी है, और शुरू होते-होते 1 लाख 30 हजार करोड़ को पार कर जाएगी। उन्होंने विलंब का ठीकरा अयोग्य कंपनियों को टेंडर देने पर फोड़ा।
राजस्व का नुकसान और ‘केवल बातें ही बातें’
बेनीवाल ने कहा कि रिफाइनरी में हो रही देरी से राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है, हर साल 10-15 हजार करोड़ का अतिरिक्त खर्च जनता के पैसे का नुकसान है। उन्होंने कहा कि ‘अभी केवल बातें ही बातें हैं’ और सरकार की स्पष्ट नीति नहीं होने के कारण पेट्रो केमिकल जोन हब का काम धरातल पर नहीं उतरा है।
उन्होंने सरकार से स्पष्ट नीति बनाने की मांग की, ताकि व्यापारियों में रॉ-मटेरियल की उपलब्धता को लेकर जो संदेह है, वह दूर हो सके और नए उद्योगों का विकास हो सके। सांसद ने खारवाल समाज के नमक उद्योग का मुद्दा भी उठाया, जिन्हें रिफाइनरी लगने के बदले आज तक न तो मुआवजा मिला है और न ही नई जमीन आवंटित की गई है।
संक्षेप में, जहां मुख्यमंत्री इसे इसी साल शुरू करने की बात कह रहे हैं, वहीं विपक्ष का आरोप है कि रिफाइनरी परियोजना राजनीतिक उदासीनता और प्रशासनिक विलंब की शिकार हो गई है, जिसकी कीमत जनता के पैसे और राजस्थान के विकास को चुकानी पड़ रही है।
