28 वर्षों से जांगिड़ समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उसकी सहभागिता सुनिश्चित करने के कार्य में सक्रिय रूप से लगी हुई है। इस विषय में निम्नांकित बिंदुओं पर हम ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं-
संस्था, संस्था अधिनियम 1958 के अंतर्गत पंजीकृत है इसका अपना संविधान है। इस संविधान में 2012 और 2016 में अत्यावश्यक संशोधन अधिनियम 1958 की धारा 12 के अनुसार दो संशोधन आवश्यक प्रक्रिया द्वारा संपन्न किए गए हैं तथा इन दोनों ही संशोधनों में संस्था के उद्देश्यों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस संविधान के तहत हर तीसरे वर्ष चुनाव द्वारा कार्यकारिणी का गठन होता रहा है। कोरोना काल में हमारे सदस्यों की संख्या 640 के लगभग थी तथा राज्य सरकार के प्रतिबंधों की वजह से 2020 में होने वाला चुनाव समय पर नहीं हो पाया क्योंकि वार्षिक साधारण सभा तथा चुनाव में इतनी संख्या में मीटिंग नहीं हो सकती थी। वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के खातों की ऑडिट करना भी कार्यकारिणी का दायित्व था, उसमें भी लॉकडाउन के कारण काफी समय लगा। इस दौरान कुछ सदस्यों ने स्व-प्रेरित हित चिंतन जैसी कमेटी का गठन कर 19 सितंबर 2022 को चुनाव करवाने की घोषणा कर दी। कार्यकारिणी ने अपनी ऑडिट करवाने की पूर्ति करवा कर दिनांक 4 सितंबर 2022 को संविधान सम्मत चुनाव करवाने की अधिसूचना जारी कर इसे समाचार पत्रों के प्रकाशित करवा दी। यही से विवाद का प्रारंभ हुआ तथा संस्था की ओर से माननीय न्यायालय के स्थगन आदेश के लिए वाद दायर किया गया। इसी बीच कोर्ट में हड़ताल की वजह से छुट्टियां थी जिससे वाद में विलंब हुआ। इसी बीच कथित तदर्थ समिति ने अपने चुनाव की दिनांक 19 सितंबर 2020 के बजाय 28 अगस्त 2020 कर दी तथा 20 अगस्त 2020 को ही अपने आप को निर्विरोध घोषित कर दिया। इसके उपरांत तदर्थ समिति वालों ने संस्था भवन पर ताले लगा दिए तथा तथा संस्था द्वारा न्यायालय में यह मामला पहुंचाने पर माननीय न्यायालय ने तथा जिला प्रशासन में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर 4 सितंबर को चुनाव करवाने के आदेश दिए और चुनाव करवाए गए।
हमारे संस्था अध्यक्ष द्वारा वाद दायर करने को इस तदर्थ समिति ने माननीय कोर्ट में विरोध किया जिसे माननीय कोर्ट ने नकार दिया तत्पश्चात इसके लिए उन्होंने माननीय हाई कोर्ट में अपील की वहां भी रिजेक्ट कर दी गई। इसी बीच कथित तदर्थ समिति के सदस्यों द्वारा असवैधानिक रूप से ₹1100 लेकर सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई तथा अवैध रूप से 600 से अधिक सदस्य बना लिए।
वर्तमान में दो वाद अपने बहस की स्थिति में आ चुके हैं तथा माननीय सेशन कोर्ट ने कहा कि आप दोनों की कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्ति पर है आप आपस में समझाइश करके चुनाव करवाए। इस बाबत हमने कथित तदर्थ समिति के सदस्यों से संपर्क किया लेकिन उन्होंने इस सुझाव की अनदेखी कर असवैधानिक रूप से चुनाव की घोषणा कर दी जिसका मतदान 17 अगस्त 2025 को होना है।
हमारा माननीय न्यायालय से इतना ही निवेदन है कि हमको संविधान के नियम अनुसार अक्षरशः पालन करते हुए चुनाव करवाने हैं। हमारे संविधान में किसी प्रकार की तदर्थ समिति द्वारा चुनाव करवाने का कोई प्रावधान नहीं है अतः इस असवैधानिक चुनाव को निरस्त किया जाए।

