
राजस्थान के जैसलमेर में एक पाकिस्तानी विस्थापित नाबालिग लड़की के साथ हुए गैंगरेप के मामले ने सनसनी फैला दी है। इस घिनौनी वारदात के बाद न्याय की धीमी रफ्तार से नाराज परिजन और पूरा पाक विस्थापित समाज चार दिनों से कलेक्ट्रेट के सामने धरना दे रहा है। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन लोग तीसरे और मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी तक आंदोलन जारी रखने पर अड़े हैं।
29 जुलाई की काली रात और 20 दिनों की खामोशी
परिजनों ने बताया कि यह घटना 29 जुलाई की रात मोहनगढ़ थाना इलाके में हुई। रात करीब 1:30 बजे कुछ युवकों ने घर में घुसकर सो रही नाबालिग को अगवा कर लिया। इसके बाद डरा-धमका कर उसके साथ दरिंदगी की और फिर उसे सड़क पर बेहाल छोड़ गए। सदमे में आई लड़की ने घटना के बारे में 4 अगस्त तक किसी को कुछ नहीं बताया। जब परिवार की महिलाओं ने उससे लगातार पूछा, तब जाकर उसने अपनी आपबीती सुनाई। 5 अगस्त को परिजनों ने महिला थाने में जाकर मामला दर्ज कराया, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने 20 दिनों तक कोई गिरफ्तारी नहीं की, जिससे समाज में भारी आक्रोश फैल गया।
जब सड़क पर आया ‘पाक विस्थापित समाज’, तब हुई कार्रवाई
पुलिस की ढिलाई से हताश होकर, पाकिस्तान से आए विस्थापित समाज के लोगों ने एकजुट होने का फैसला किया। 25 अगस्त को बड़ी संख्या में लोग कलेक्ट्रेट के सामने इकट्ठा हुए और अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। इस विरोध-प्रदर्शन के दबाव में आकर पुलिस ने कार्रवाई तेज की।
मामले की जांच कर रहे सीओ पुलिस नाचना गजेंद्र सिंह ने बताया, “हमने लगातार दबिश दी और बुधवार 27 अगस्त की रात को दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।” उन्होंने यह भी बताया कि एक आरोपी हरियाणा का रहने वाला है और पुलिस की टीमें उसकी तलाश में हरियाणा भेजी गई हैं।
मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी तक जारी रहेगा धरना
धरने पर बैठे परिजनों का कहना है कि पुलिस ने जिन दो लोगों को पकड़ा है, वे तो सिर्फ मोहरे हैं। इस पूरे कांड का मुख्य सूत्रधार तीसरा आरोपी ही है। उनकी मांग है कि जब तक पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर लेती, तब तक वे कलेक्ट्रेट के सामने से नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक लड़की के न्याय का सवाल नहीं है, बल्कि पूरे पाक विस्थापित समाज की सुरक्षा और सम्मान का सवाल है।
