उदयपुर में बच्चे की मौत पर अस्पताल प्रभारी को हटाया, परिजनों का आरोप- अस्पताल में बिजली नहीं थी, ऑक्सीजन-उपकरण होते तो बच जाता बच्चा

उदयपुर में 4 साल के मासूम की बस से कुचलकर मौत के मामले में लोगों ने झाड़ोल अस्पताल में धरने पर बैठ गए। करणी सेना के पदाधिकारी भी यहां पहुंचे और परिवार को मुआवजे दिलाने की मांग पर अड़ गए। प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। आखिरकार तीन घंटे बाद मृतक के परिवार को 17.21 लाख रुपए मुआवजा राशि देने पर सहमति बन गई।

इधर, सीएमएचओ डॉ अशोक आदित्य ने डॉ मुकेश गरासिया को उपजिला अस्पताल के प्रभारी पद से हटा दिया है। इनकी जगह अतिरिक्त चार्ज डॉ रमेश कटारा को सौंपा है। परिजनों का आरोप है कि झाड़ोल उपखंड मुख्यालय पर सीएचसी को उप जिला चिकित्सालय में बदल दिया गया है, लेकिन यहां व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं है।

परिजनों का आरोप है कि बच्चे को जब यहां लाए तब होश में था। हॉस्पिटल में न ऑक्सीजन की व्यवस्था है और न ही इमरजेंसी में काम आने वाले कोई उपकरण हैं। जब बच्चे को अस्पताल लाए, तब लाइट भी नहीं थी। हॉस्पिटल में इमरजेंसी में जनरेटर या इन्वर्टर नहीं था। व्यवस्था होती तो बेटा बच जाता। इधर, मांग पर सहमति बनने के बाद मृतक के पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया शुरू हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद परिजनों को शव सुपुर्द कर दिया गया। श्री राजपूत करणी सेना जिलाध्यक्ष अर्जुन ने बताया कि स्कूल और अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण बच्चे की मौत हुई है।

इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। स्कूल में प्रशिक्षित ड्राइवर नियुक्त हों। वहीं, अस्पताल में आक्सीजन, इनवर्टर सहित अन्य आवश्यक उपकरण होने चाहिए।

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