पल पल राजस्थान / महावीर व्यास
जैसलमेर. राजस्थान सरकार भले ही हर मंच से शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करे, मगर गोगादे गांव की सच्चाई इन वादों की जमीनी हकीकत बयां कर रही है। सीमावर्ती इलाकों में बसे इस गांव के 127 छात्र-छात्राएं प्राथमिक शिक्षा ले रहे हैं, लेकिन जैसे ही वे आठवीं कक्षा पार करते हैं, उनके सपनों की उड़ान वहीं रुक जाती है — क्योंकि नज़दीक में कोई उच्च माध्यमिक विद्यालय नहीं है।
22 बच्चे आठवीं में, आगे स्कूल नहीं
गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में फिलहाल 22 छात्र-छात्राएं आठवीं कक्षा में हैं। शिक्षा विभाग के मानकों के अनुसार, यह संख्या स्कूल को उच्च माध्यमिक में अपग्रेड करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन 14 किलोमीटर के दायरे में कोई हाई स्कूल मौजूद नहीं, जिससे बच्चों की आगे की पढ़ाई अधर में लटक जाती है।
बालिकाओं के लिए और भी गंभीर हालात
विशेष रूप से लड़कियों के लिए ये स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है। सामाजिक सीमाएं, परिवहन की कमी और सुरक्षा को लेकर आशंकाएं उन्हें आगे पढ़ने से रोक देती हैं। कई छात्राएं आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो जाती हैं, जिससे बाल विवाह और घरेलू जिम्मेदारियां उनका भविष्य निगल लेती हैं।
प्रशासन से थक-हारकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे ग्रामीण
गांववालों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर शिक्षा विभाग तक सभी दरवाजे खटखटा लिए। लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई, तो आखिरकार गोगादे के बच्चों और उनके अभिभावकों को जिला कलेक्टर कार्यालय का रुख करना पड़ा। वे धरने पर बैठे और ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्कूल को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत करने की मांग की गई।
“हर साल बच्चे आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। कितने डॉक्टर, टीचर या अफसर बनने के सपने ऐसे ही खत्म हो जाते हैं…” – एक ग्रामीण अभिभावक की पीड़ा
अब सवाल सरकार से है…
क्या सरकार अब भी नींद से जागेगी? क्या गोगादे जैसे सैकड़ों गांवों के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल पाएगा, या फिर ये सपनों की उड़ानें यूं ही टूटी रह जाएंगी?