पल पल राजस्थान/ महावीर व्यास

जयपुर। निलंबित पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर को तीसरे निलंबन के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई है। न्यायमूर्ति अनूप ढंड की एकल पीठ ने सोमवार को सुनाया गया फैसला सुनाते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि विभागीय जांच को तय समयसीमा में पूर्ण किया जाए।
मुनेश गुर्जर ने अपने तीसरे निलंबन को चुनौती देते हुए अदालत में कहा था कि सरकार ने उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की है जो पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें न तो सुनवाई का अवसर दिया गया और न ही निष्पक्ष जांच हुई। गुर्जर ने यह भी बताया कि जांच अधिकारी के लेटर पर हस्ताक्षर तक नहीं थे और जिन तारीखों को सुनवाई रखी गई, वे सार्वजनिक अवकाश के दिन थे।
सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों ने अदालत में दलील दी कि निलंबन से पूर्व उन्हें विधिवत नोटिस भेजा गया और जवाब भी मांगा गया। लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने के बाद ही यह निर्णय लिया गया। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि गुर्जर पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, जिनकी विभागीय जांच आवश्यक है।
अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे सोमवार को सुनाया गया। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए यह भी कहा कि राज्य सरकार विभागीय जांच को जल्द पूरा करे ताकि प्रकरण में निष्कर्ष तक पहुंचा जा सके।
गौरतलब है कि मुनेश गुर्जर का कार्यकाल करीब 13 महीने का रहा, और इस अवधि में उन्हें तीन बार निलंबित किया गया। पहले दो निलंबन 5 अगस्त 2023 और 22 सितंबर 2023 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किए थे, जिन्हें हाईकोर्ट ने बाद में रद्द कर दिया था। लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा 23 सितंबर 2024 को जारी तीसरे निलंबन को अदालत ने इस बार वैध ठहराया है।