सिरप से जान का खतरा, कोल्ड्रिफ भी शामिल, मध्यप्रदेश में 25 बच्चों की हुई मौत

नई दिल्ली । विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को दूषित कफ सीरप के बारे में एक एडवाइजरी जारी की है। इसके साथ ही अधिकारियों से आग्रह किया है कि अपने देशों में इन दवाओं के पाए जाने की सूचना स्वास्थ्य एजेंसी को दें। दरअसल, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन से 23 नवजात बच्चों की जान गई है। इसके बाद इस कफ सीरप को भारत में कई राज्यों की सरकार ने बैन कर दिया है।

इस जानलेवा कफ सीरप को लेकर डब्ल्यूएचओ ने खुद संज्ञान लिया है। ये जान के लिए खतरा पैदा करने वाली बीमारी का कारण भी बन सकते हैं। WHO ने दुनियाभर के देशों से कहा है कि अगर उनके यहां ये दवाओं मिल रही हैं तो हमें इसकी जानकारी दें। कोल्ड्रिफ वही सिरप है, जिससे मध्य प्रदेश में सितंबर से अब तक पांच साल से कम उम्र के 25 बच्चों की मौत हुई है।
सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा तय सीमा से लगभग 500 गुना ज्यादा थी, जिससे बच्चों की जान गई। WHO ने 9 अक्टूबर को भारत से पूछा था कि क्या कोल्ड्रिफ कफ सिरप विदेशों में भी निर्यात किया गया था। भारत में दवाओं की निगरानी करने वाली अथॉरिटी, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने कहा था कि कोई भी मिलावटी दवा बाहर नहीं भेजी गई। न ही अवैध निर्यात का कोई सबूत मिला है।
श्रीसन फार्मा का लाइसेंस रद्द, कंपनी भी बंद
तमिलनाडु स्थित कांचीपुरम में श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी कोल्ड्रिफ सिरप बना रही थी। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट ने सोमवार को श्रीसन फार्मा का लाइसेंस रद्द कर दिया और कंपनी को आधिकारिक रूप से हमेशा के लिए बंद कर दिया। कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन (75 साल) को 9 अक्टूबर को चेन्नई के कोडम्बक्कम स्थित उसके अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया था। मध्य प्रदेश पुलिस की एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने उसे पकड़ा था। उसे 10 दिन की पुलिस रिमांड (20 अक्टूबर तक) पर भेजा गया है।
कोल्ड्रिफ में किडनी खराब करने वाला 48% जहर
MP में बच्चों की मौत के बाद श्रीसन फार्मा की यूनिट से कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) जब्त की गई थी। चेन्नई की सरकारी ड्रग्स टेस्टिंग लैब में सैंपल भेजे गए। जांच में पता चला कि इसमें नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल हुआ था।
कोल्ड्रिफ सिरप का यह बैच 48.6% w/v DEG से जहरीला और ‘Not of Standard Quality’ था। सिरप डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित था। दोनों ही केमिकल किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले पदार्थ हैं।
छोटी सी फैक्ट्री में कोल्ड्रिफ बनाई जा रही थी
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के मुताबिक, श्रीसन फार्मा को तमिलनाडु फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (TNFDA) से 2011 में लाइसेंस मिला था। यह कंपनी कांचीपुरम में महज 2000 वर्ग फीट के क्षेत्र में एक लोहे के शेड वाली छोटी सी फैक्ट्री में कोल्ड्रिफ सिरप बना रही थी।
यह कंपनी नेशनल ड्रग सेफ्टी के कई नियमों के उल्लंघनों के बावजूद एक दशक से भी अधिक समय तक, बिना किसी रोक-टोक के अपना कारोबार करती रही। स्टेट ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने जांच के दौरान श्रीसन की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में दवा बनाने के लिए जरूरी गुणवत्ता मानकों में कई कमियां मिलीं।
केंद्र ने कहा- 2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को देश भर में हेल्थ एडवाइजरी जारी की थी। सरकार ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप (खांसी और सर्दी की दवाएं) नहीं देने की अपील की।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाना चाहिए। इससे बड़े बच्चों को अगर कफ सिरप दिया जाए तो उनका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
