
लंदन: ब्रिटेन में 85 से अधिक जगहों पर नाबालिग लड़कियों के साथ बड़े पैमाने पर यौन शोषण का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक नई जांच रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इन इलाकों में सक्रिय ‘रेप गैंग’ ने हजारों लड़कियों को अपना शिकार बनाया, जिनमें से कुछ की उम्र 11 साल तक थी।
सांसद रूपर्ट लोवे द्वारा 26 अगस्त को जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इन आपराधिक गिरोहों के ज़्यादातर सदस्य पाकिस्तान मूल के लोग हैं। लोवे के अनुसार, यह घिनौना अपराध दशकों से चल रहा था और पुलिस तथा प्रशासन ने इसकी अनदेखी की।
जांच में सामने आए चौंकाने वाले खुलासे
- जांच के दौरान सैकड़ों पीड़ितों और उनके परिवारों से बात की गई।
- शिकार: रिपोर्ट के मुताबिक, ये गिरोह ज्यादातर गरीब और गोरी लड़कियों को निशाना बनाते थे।
- तरीका: पीड़ितों ने बताया कि उन्हें बचपन में ड्रग्स की लत लगाई गई, उनका यौन शोषण किया गया और चुप रहने की धमकी दी गई।
- दोषियों पर कार्रवाई नहीं: सांसद लोवे ने आरोप लगाया कि इन अपराधियों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
- आंकड़े:
- टेलफोर्ड: 40 सालों में 1,000 से अधिक लड़कियों का यौन शोषण और तस्करी की गई।
- रोथरहम: 1997 से 2013 के बीच लगभग 1,500 लड़कियों को निशाना बनाया गया।
पुलिस और प्रशासन पर भी उठे सवाल
रिपोर्ट में ब्रिटेन की पुलिस, सामाजिक सेवाओं और क्राउन प्रॉसीक्यूशन सर्विस (CPS) की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। कई मामलों में पीड़ितों को गंभीरता से नहीं लिया गया, और कुछ को तो उनके ही अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अधिकारियों को डर था कि अपराधियों की पहचान सामने आने से सामुदायिक तनाव बढ़ सकता है, जिसके कारण कार्रवाई में देरी की गई।
सांसद लोवे की मांग: अपराधियों को देश से निकालो
इस मामले पर सांसद लोवे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “अगर किसी विदेशी नागरिक को इस बारे में पता था और उसने कुछ नहीं किया, तो उसे तुरंत देश से निकाल देना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी ब्रिटिश नागरिक ने ऐसा किया है तो उस पर भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
सरकार पर भी सवाल
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब सरकार पहले से ही ग्रूमिंग गिरोहों (Grooming Gangs) के डेटा को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है। टेस्ला के मालिक एलोन मस्क द्वारा ग्रूमिंग गिरोहों की आलोचना के बाद, जून में एक रैपिड ऑडिट रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में पाया गया था कि सरकार के पास पिछले एक दशक से अधिक समय से अपराधियों की जाति और राष्ट्रीयता से जुड़ी पर्याप्त जानकारी नहीं थी, जिसे एक बड़ी विफलता माना गया। इसके बाद पीएम कीर स्टार्मर ने जून में एक राष्ट्रीय जांच शुरू की थी।