

सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार को भारी भीड़ के चलते धक्का-मुक्की में दो लोगों की मौत हो गई। 8 से 10 श्रद्धालु चक्कर और घबराहट की शिकायत के बाद अस्पताल पहुंचे हैं। जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं की गई है।
प्रदीप मिश्रा बुधवार को कुबेरेश्वर धाम से चितावलिया हेमा गांव तक कांवड़ यात्रा निकालने वाले हैं। इसमें शामिल होने के लिए एक दिन पहले ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भंडारे, ठहराव और दर्शन के लिए जगह कम पड़ने लगी, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई। कई स्थानों पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। तीन लोग नीचे गिर गए। इनमें से दो की दबने से मौत हो गई।
घायलों को अस्पताल ले जाने में लगे डेढ़ घंटे
कुबेरेश्वर धाम के आसपास इतनी ज्यादा भीड़ है कि घायलों को जिला अस्पताल ट्रॉमा सेंटर लाने में डेढ़ घंटे का समय लग गया। घटना के 3 घंटे बाद भी स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन दोनों मृतकों की पहचान नहीं कर सका है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. प्रवीर गुप्ता ने हादसे को लेकर कुछ भी कहने से मना कर दिया।
विधायक बोले- प्रशासन ने पूरे इंतजाम किए, लेकिन भीड़ बढ़ी
मानसून सत्र के लिए भोपाल पहुंचे सीहोर विधायक सुदेश राय ने हादसे को लेकर कहा, बेहद दुख की बात है। मैंने मुख्यमंत्री मोहन यादव जी को भी इसकी जानकारी दी है। कुबेरेश्वर धाम में कल कांवड़ यात्रा है। इसमें शामिल होने दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु यहां आ गए हैं। पुलिस और प्रशासन ने अपनी ओर से सभी इंतजाम कर रखे हैं। भीड़ ज्यादा होने के चलते हादसे हो जाते हैं। मैं मौके पर पहुंचकर देखूंगा कि अनहोनी कैसे हुई।
4 हजार श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था
प्रशासन और आयोजकों ने दावा किया था कि 4 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था नमक चौराहा, राधेश्याम कॉलोनी, बजरंग अखाड़ा, अटल पार्क, शास्त्री स्कूल, लुर्द माता स्कूल और सीवन नदी के पास की गई थी। पूरे सावन मास प्रसादी वितरण की तैयारी भी की गई थी, लेकिन एक दिन पहले ही भीड़ का दबाव बढ़ने से व्यवस्था टूट गई।
रात 12 बजे से लागू होना था डायवर्जन प्लान
एसपी दीपक शुक्ला ने बताया था कि कांवड़ यात्रा के लिए 5 अगस्त रात 12 बजे से 6 अगस्त रात 11 बजे तक अलग-अलग डायवर्जन और पार्किंग प्लान लागू होगा। भारी वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से भेजने और छोटे वाहनों को न्यू क्रिसेंट चौराहा से अमलाहा होते हुए भेजने की योजना थी। लेकिन हादसे के समय तक यह व्यवस्था शुरू नहीं हुई थी।