इस्लामाबाद आतंकी सगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान के हर जिले में महिला आतंकी सेंटर की ब्रांच खोलेगा। यहां आतंकी बनने के लिए 15 दिन का कोर्स चलेगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हर ब्रांच की हेड ‘डिस्ट्रिक्ट मुंतेजिमा’ होगी, जो लोकल महिलाओं को भर्ती करेगी। इसके लिए सख्त नियम भी बनाए गए हैं, जिनके तहत ब्रिगेड में शामिल महिलाएं फोन या मैसेंजर पर किसी अनजान मर्द से बात नहीं करेंगी।
अजहर ने दावा किया है कि जो महिला इस विंग में शामिल होगी उसको कब्र से सीधे जन्नत मिलेगी। उसने कहा कि पुरुष लड़ाके महिलाओं के साथ मिलकर काम करेंगे और दुनिया भर में इस्लाम फैलाएंगे।
अजहर ने 21 मिनट का ऑडियो जारी कर महिलाओं को भर्ती करने, ट्रेनिंग देने और ‘ग्लोबल जिहाद’ में इस्तेमाल करने का पूरा प्लान बताया है।
इस यूनिट की कमान मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर संभाल रही है। सादिया का पति यूसुफ अजहर 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारा गया था।पुरुषों की तरह ही महिलाओं के लिए भी कोर्स चलेगा
अजहर ने कहा कि जैसे पुरुष के ‘दौरा-ए-तरबियत’ का कोर्स होता है, वैसे ही महिलाओं का पहला कोर्स ‘दौरा-ए-तस्किया’ होगा। यह बहावलपुर के सेंटर में चलेगा।
दूसरा स्टेज ‘दौरा-आयत-उल-निसाह’ होगा, जिसमें इस्लामिक किताबों से महिलाओं को जिहाद करने का तरीका सिखाया जाएगा।
यह कोर्स पिछले 20 साल से पुरुषों को जिहाद के लिए तैयार करता है, जिसमें भारत के खिलाफ लड़ाई से जन्नत मिलने का वादा किया जाता है। अब महिलाओं को भी यही सिखाया जाएगा।
महिला ब्रिगेड बनाने के पीछे की वजह बताते हुए अजहर ने कहा कि जैश के दुश्मनों ने हिंदू महिलाओं को आर्मी में भर्ती किया और महिला पत्रकारों को हमारे खिलाफ खड़ा किया। अब मैं अपनी महिलाओं को तैयार कर रहा हूं ताकि वे उनसे मुकाबला करें।
गरीब महिलाओं को भर्ती कर रहा आतंकी संगठन
JeM आतंकियों की पत्नी और गरीब महिलाओं को भर्ती कर रहा है। ये महिलाएं बहावलपुर, कराची, मुजफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मंसेहरा के मदसरों में पढ़ती हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में आशंका जताई गई है कि इन महिला आतंकियों का इस्तेमाल आत्मघाती हमले में किया जा सकता है।
यह संगठन पहले महिलाओं को लड़ाई में शामिल नहीं करता था, लेकिन पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद नियम बदले गए हैं। मसूद अजहर और उसके भाई तल्हा अल-सैफ ने महिलाओं को टीम में शामिल करने का फैसला लिया।
ISIS और बोको हरम जैसे संगठन महिलाओं को आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल करते हैं, लेकिन JeM, लश्कर और हिजबुल जैसे ग्रुप पहले ऐसा नहीं करते थे।
