
पल पल राजस्थान
बारां। अंता विधानसभा उपचुनाव अब पूरी तरह सियासी अखाड़ा बन चुका है। भाजपा ने लंबे मंथन और खींचतान के बाद आखिरकार मोरपाल सुमन को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस पहले ही पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, जबकि निर्दलीय नरेश मीणा भी पूरी ताकत से मैदान में डटे हैं। तीनों ही प्रत्याशियों के साथ अंता की लड़ाई अब त्रिकोणीय और बेहद दिलचस्प हो गई है।
भाजपा ने खेला ‘स्थानीय कार्ड’, मंथन के बाद निकला नाम
अंता सीट पर भाजपा लंबे समय से “बाहरी बनाम स्थानीय” के चक्रव्यूह में फंसी हुई थी। कई नामों पर चर्चा के बाद आखिरकार पार्टी ने स्थानीय चेहरा मोरपाल सुमन को मौका दिया। सुमन बारां पंचायत समिति के प्रधान हैं और माली समाज में उनकी गहरी पैठ है। उनकी पत्नी नटी बाई भी सरपंच रह चुकी हैं।
सूत्रों का कहना है कि टिकट की दौड़ में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी जैसे बाहरी दावेदार पीछे छूट गए। पार्टी ने पहली बार अंता से स्थानीय प्रत्याशी को मैदान में उतारा है — जो खुद में भाजपा की रणनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
कांग्रेस ने रखा भरोसा ‘पुराने विजेता’ भाया पर
कांग्रेस ने अपने अनुभवी नेता प्रमोद जैन भाया को ही फिर से टिकट दिया है। भाया अंता में मजबूत जनाधार रखने वाले नेता हैं और कई बार विधायक रह चुके हैं। वे विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा की देरी व गुटबाजी पर निशाना साध रहे हैं।
कांग्रेस कैंप को भरोसा है कि भाया की “विकास और अनुभव” वाली छवि इस बार भी वोटरों को अपनी ओर खींचेगी।
निर्दलीय नरेश मीणा की एंट्री ने समीकरण बिगाड़े
इस बार मुकाबले को और पेचीदा बना रहे हैं निर्दलीय नरेश मीणा। मीणा समाज अंता में निर्णायक भूमिका में है, और नरेश की एंट्री दोनों पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर मीणा को समाज का समर्थन मिला, तो मुकाबला रोमांचक मोड़ ले सकता है।
भाजपा की ‘बाहरी बनाम स्थानीय’ रणनीति पर दांव
अंता सीट के अस्तित्व में आने के बाद यह पहला मौका है जब भाजपा ने स्थानीय प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। इससे पहले चारों चुनावों में पार्टी ने बाहरी चेहरों को टिकट दिया था।
इस बार भाजपा ने स्थानीय असंतोष को भुनाने की कोशिश की है। वहीं कांग्रेस अपने संगठन और पुराने वोट बैंक पर टिके रहकर “भरोसे और विकास” की बात कर रही है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जनता ‘माली समाज के सिपाही’ मोरपाल सुमन, ‘अनुभवी नेता’ प्रमोद जैन भाया या ‘समाज के दमदार चेहरे’ नरेश मीणा – किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है। एक बात तय है – अंता की यह लड़ाई राजस्थान की सियासत में नया समीकरण तय करेगी।
