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राज्य सरकार ने नगर निगम उदयपुर के परिसीमन की फाइनल अधिसूचना जारी कर दी है। अब निगम क्षेत्र में 80 वार्ड होंगे और शहर से सटी 17 ग्राम पंचायतों के 33 गांव भी निगम की सीमा में शामिल कर दिए गए हैं। इस बदलाव के साथ ही शहर का भूगोल ही नहीं बल्कि आने वाले निगम चुनाव का पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदलने जा रहा है। पूर्व में जारी वार्ड परिसीमन पर आई आपत्तियों के निस्तारण के बाद यह अधिसूचना जारी हुई है। निगम कमिश्नर अभिषेक खन्ना ने बताया कि जयपुर से अधिसूचना मिल चुकी है और इसमें सभी वार्डों की सीमा और आबादी का विवरण तय कर दिया गया है। परिसीमन के कारण कई मौजूदा पार्षदों के क्षेत्र पूरी तरह बदल गए हैं। ऐसे में ज्यादातर को नए सिरे से राजनीतिक जमीन तैयार करनी होगी। पुराने वार्ड खत्म होने और नए वार्ड बनने से सियासी चेहरे भी बदल सकते हैं।निगम सीमा में आए 33 गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण वोटर शामिल होंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन गांवों के जुड़ने से अब चुनाव में ग्रामीण वोटरों की भूमिका अहम होगी और यह वोट बैंक कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए चुनौती और अवसर दोनों लेकर आया है। कांग्रेस जहां ग्रामीण इलाकों में संगठन मजबूत करने पर जोर दे सकती है, वहीं बीजेपी शहरी वोट बैंक को साधने के साथ अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपने प्रभाव को बढ़ाने की रणनीति बना सकती है। स्वतंत्र प्रत्याशी और स्थानीय स्तर पर प्रभाव रखने वाले नेता भी इस बार ज्यादा दमखम दिखा सकते हैं। वार्ड परिसीमन के बाद कई मौजूदा पार्षदों की ‘सेफ सीटें’ खत्म हो गई हैं। ऐसे में उन्हें नए इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। इससे टिकट वितरण में भी पार्टियों के लिए पेचीदगियां बढ़ेंगी।





















































