पढ़ाई बने बोध, न रहे बोझ : ‘स्टडी प्रोसेसिंग मैथड’ सेमिनार में शिक्षा का नया नजरिया

बड़गांव | प्रेरणा पब्लिक सेकेंडरी स्कूल में बुधवार को एक दिवसीय शैक्षिक सेमिनार का आयोजन हुआ, जिसमें स्टडी प्रोसेसिंग मैथड पर विस्तार से चर्चा की गई। सेमिनार में विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों ने उत्साह से भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्देश्य था— “पढ़ाई को बोझ नहीं, बोध बनाया जाए”। इस अभिनव शिक्षण पद्धति के माध्यम से विद्यार्थियों में जिज्ञासा, कौशल और आत्मनिर्भरता के विकास पर जोर दिया गया।

निखिल भटनागर ने समझाया कि शिक्षा का मूल लक्ष्य बच्चों में जिज्ञासा जगाना होना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब बच्चा खुद से सवाल पूछने लगे, तभी सच्चा ज्ञान संभव है।” उन्होंने बताया कि इस पद्धति में छात्र स्वयं प्रश्न बनाते हैं जिससे जिज्ञासा और विषय की गहरी समझ विकसित होती है।

गर्वित भटनागर ने कहा कि स्किल और सिलेबस में प्राथमिकता स्किल को मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि स्किल डेवलपमेंट के ज़रिए छात्र खुद को सिलेबस के लिए तैयार कर सकते हैं और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

तृप्ति भटनागर ने पिक्चराइजेशन तकनीक पर ज़ोर दिया और बताया कि मस्तिष्क शब्दों से अधिक चित्रों को लंबे समय तक याद रखता है। इसी सिद्धांत पर आधारित स्टडी प्रोसेसिंग में हर टॉपिक को चित्र के रूप में समझाया जाता है।

ऋषभ भटनागर ने इस पद्धति में शामिल विभिन्न स्किल्स जैसे ऑब्जर्वेशन, एनालिसिस, कनेक्टिविटी आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला और इसे लागू करने के व्यवहारिक तरीके बताए।

बी एकलव्य के फाउंडर-डायरेक्टर राकेश भटनागर ने डिजिटल युग में पारंपरिक पढ़ाई की सीमाओं पर बात करते हुए कहा, “बच्चा जितना बोर्ड पर बोलेगा, उतना ही कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। रोज़ बोर्ड पर लाना हमारी तकनीक का अहम हिस्सा है।” उन्होंने दोहराव से छुटकारा दिलाने वाली इस पद्धति को भविष्य की शिक्षा बताया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय निदेशक सी. पी. रावल ने की। उन्होंने इस पहल को विद्यार्थियों के “समग्र विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम” बताया।

विद्यालय प्राचार्या अनुसूया रावल, समस्त शिक्षकगण, अभिभावक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं सेमिनार में उपस्थित रहे। अंत में विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए इस तकनीक को पढ़ाई के लिए बेहद उपयोगी बताया।

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