गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम बापू की अंतरिम जमानत 7 जुलाई तक बढ़ाई

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गुजरात हाईकोर्ट में शुक्रवार को एक बार फिर बहुचर्चित आसाराम बापू के अस्थायी जमानत मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत की अवधि 7 जुलाई तक बढ़ा दी है। गौरतलब है कि 2013 के रेप केस में दोषी करार दिए जा चुके 86 वर्षीय आसाराम उम्रकैद की सजा काट रहा है और फिलहाल मेडिकल ग्राउंड पर जेल से बाहर हैं। आसाराम की जमानत अवधि 30 जून को खत्म होनी थी, लेकिन वकीलों की दलीलों और दस्तावेजी प्रक्रिया के चलते कोर्ट ने उन्हें कुछ और दिन की राहत दे दी।

कोर्ट में क्या-क्या हुआ?

आसाराम के वकील ने कोर्ट में कहा कि NALSA (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) से प्रमाण पत्र मिलना बाकी है, जिसमें उनकी उम्र 70 साल से ऊपर और टर्मिनल बीमारी की पुष्टि है। वकील ने यह भी कहा कि पिछली बार जमानत आदेश के बाद उन्हें जमानत की प्रक्रिया में 10 दिन और लग गए, इसलिए असल में उन्हें कम समय मिला।

विरोधी पक्ष के वकील ने सवाल उठाया कि आसाराम इलाज के नाम पर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जा रहे हैं, जिससे यह संदेह होता है कि वे किसी भी तरह जेल से बाहर रहना चाहते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जोधपुर में भी बेहतरीन आयुर्वेदिक अस्पताल और एम्स मौजूद हैं, जहां इलाज संभव है।

कोर्ट की टिप्पणी: अस्थायी जमानत बढ़ाना अंतहीन प्रक्रिया न बने

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि अस्थायी जमानत को बार-बार बढ़ाना एक अंतहीन प्रक्रिया बन जाती है, जिसे रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने संकेत दिया कि अगली सुनवाई में फैसला हो सकता है।

मेडिकल ग्राउंड या कानूनी पेचीदगी?

आसाराम बापू की कानूनी टीम लगातार उनकी उम्र, गंभीर बीमारियों और डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए 90 दिन के पंचकर्म थेरेपी का हवाला देकर जमानत बढ़ाने की मांग कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी जनवरी 2025 में मेडिकल आधार पर उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वे अपने अनुयायियों से सार्वजनिक रूप से नहीं मिल सकेंगे और पुलिस की निगरानी रहेगी।

गुजरात के बाद राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका?

2013 के रेप केस में आसाराम को गांधीनगर की सेशंस कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा, आसाराम जोधपुर के एक और रेप केस में भी उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे कई धाराओं के तहत उन्हें दोषी पाया गया, जिनमें रेप, अप्राकृतिक कृत्य, गलत तरीके से बंधक बनाना, धमकी देना और महिला की मर्यादा भंग करने का प्रयास शामिल है।

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