जयकारों के साथ डबोक में हुआ राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर महाराज का ससंघ मंगल प्रवेश, 17 साल बाद फिर उदयपुर में चातुर्मास

पल पल राजस्थान / महावीर व्यास

उदयपुर, राष्ट्रसंत मनोज्ञाचार्य पुलक सागर महाराज का ससंघ भव्य मंगल प्रवेश बुधवार शाम डबोक स्थित केआरई अरिहंत नगर में गाजे-बाजे और जयकारों के साथ हुआ। यह ऐतिहासिक क्षण न केवल जैन समाज, बल्कि सम्पूर्ण मेवाड़ वासियों के लिए गौरव का विषय बन गया।

राज्यपाल ने लिया आशीर्वाद, 6 जुलाई को होगा ऐतिहासिक मंगल प्रवेश

इस शुभ अवसर पर पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं, 6 जुलाई को झीलों की नगरी उदयपुर में भव्य और ऐतिहासिक मंगल प्रवेश आयोजित होगा, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं की भागीदारी अपेक्षित है।

धार्मिक उल्लास और भक्ति से सजी डबोक की धरती

अरिहंत नगर के दिनेश खोड़निया के अनुसार, शाम 6 बजे जयघोष, ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक स्वागत के साथ आचार्य श्री का आगमन हुआ। अगले दिन गुरुवार को कार्यक्रम की शुरुआत चित्र अनावरण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके बाद खोड़निया परिवार द्वारा पाद प्रक्षालन कर आचार्य श्री का स्वागत किया गया।

भावुक संबोधन: “उदयपुर मेरे हृदय में बसता है”

अपनी धर्मसभा में आचार्य श्री ने कहा, “उदयपुर मुझे अतिप्रिय है, ऐसा लगता है जैसे 17 साल बाद मैं अपने घर लौट रहा हूं।” उन्होंने आगे कहा कि उनका उद्देश्य केवल नगर में प्रवेश नहीं, “जन-जन के हृदय में प्रवेश कर उन्हें ज्ञान-गंगा महोत्सव के माध्यम से एकता के सूत्र में बांधना है।”

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में शहर विधायक ताराचंद जैन, सकल जैन समाज के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, चातुर्मास के संयोजक पारस सिंघवी समेत कई गणमान्यजन उपस्थित रहे। आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद भी लिया गया।

भक्ति संध्या और कवि सम्मेलन से संजीवनी

सायं 6 बजे अंतरराष्ट्रीय जैन गायक अजीत जैन की भक्ति संध्या और कवि बलवंत बल्लू की हास्य कविताओं ने कार्यक्रम में चार चांद लगाए। संचालन प्रकाश सिंघवी और डॉ. सीमा चम्पावत ने किया।

17 साल बाद झीलों की नगरी में होगा चातुर्मास

2008 के बाद पहली बार उदयपुर को राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर महाराज का चातुर्मास सानिध्य प्राप्त होने जा रहा है। 6 जुलाई को भव्य मंगल प्रवेश के साथ यह अध्यात्मिक यात्रा शुरू होगी। यह आयोजन न केवल जैन समाज, बल्कि समस्त उदयपुर के लिए एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक सौभाग्य बनकर आया है।

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