
रायपुर। रायपुर तहसील के मोखुंदा ग्राम में एक तरफ जैन समाज सेवा और समर्पण की मिसाल बन चुका है, वहीं दूसरी ओर सरकारी लापरवाही ने ग्रामीणों की जान जोखिम में डाल दी है।
5.50 करोड़ की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज अपनी उपयोगिता खो चुका है। यह केंद्र 24 घंटे खुला रहने के दावे के बावजूद, सिर्फ सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक ही खुलता है। गांववासी मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज करवाने को मजबूर हैं। दरअसल, 29 जून की रात को गांव के वरिष्ठ नागरिक कन्हैयालाल गुगलिया की अचानक तबीयत बिगड़ गई। परिजन उन्हें लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो ताला लटका मिला। इलाज के लिए उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ा।

समय पर उदयपुर के अमेरिकन हॉस्पिटल में भर्ती कर जान बचाई जा सकी। इस घटना ने पूरे जैन समाज को स्तब्ध और आक्रोशित कर दिया है। रमेश चंद्र पिता स्वर्गीय अम्बा लाल गुगलिया का कहना है कि जैनसमाज के सेवाभावी का इतिहास रहा है लेकिन मोखुन्दा ग्राम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधा नहीं मिलने से गांव वासियो को झोलाछाप डॉक्टरों को दिखने पर मजबूर होना पद रहा है . जैनसमाज ने 1959 से अब तक जैन समाज के सात प्रतिनिधि सरपंच पद पर रह चुके हैं। फिर भी उनका सेवा भाव बरकरार है—विद्यालय, अस्पताल, पेयजल, भवन निर्माण में लाखों का सहयोग दिया गया। ग्रामवासियों की मांग है कि मुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 24 घंटे चालू किया जाए, डॉक्टरों की ड्यूटी हेडक्वार्टर पर अनिवार्य हो, झ लाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई की जाए, सरकार और स्वास्थ्य विभाग तुरंत संज्ञान लें ।
वही डॉक्टर महेंद्र ने बताया कि नर्सिंग अफसर सात का स्टाफ है वही दो डॉक्टर मौजूद है, लेकिन डॉक्टर का कहना है कि ठेकेदार का पेमेंट अटकने से हॉस्पिटल को हेंड ओवर नहीं किया गया.हॉस्पिटल कि हालत ज़र्ज़र हो रहा है लेकिन जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे है.