
जोधपुर, बदमाश इतना शातिर था कि तस्कर उसे अपने साथ जोड़ने के लिए नीलामी करते थे। जो सबसे ज्यादा पैसे देता, बदमाश उसी के साथ काम करता था। पुलिस को चकमा देने में भी माहिर था। जब पुलिस उसका पीछा करती, तब वह गाड़ी तेज भगाकर पुलिस को उलझाता और इधर से मादक पदार्थ की खेप पार करवा देता था।
टीम के सदस्य खुद को तस्कर का गुर्गा बताते हुए बदमाश से मिलने पहुंचे। मादक पदार्थ की डील के बहाने होटल पर बुलाया। मौका देखकर गिरफ्तार कर लिया। पकड़े जाने पर बदमाश ने पहले अपनी पहचान छिपाई, लेकिन बाद में स्वीकार कर ली।
जोधपुर रेंज की स्पेशल साइक्लोन टीम ने तस्कर बनकर कुख्यात चीमाराम (30) ) को पकड़ा। एक लाख का इनामी बदमाश पिछले 6 साल से फरार चल रहा था। पुलिस एक साल से उसे पकड़ने की कोशिश कर रही थी। 20 जून को पुलिस ने MP में बदमाश को गिरफ्तार किया और 21 जून को जोधपुर लाया गया।
मारवाड़ से मेवाड़ तक फैला था नेटवर्क आईजी विकास कुमार ने बताया कि चीमाराम ने अपनी शुरुआत विरधाराम और श्रीराम बिश्नोई जैसे तस्करों के साथ की। उसका नेटवर्क मारवाड़ से मेवाड़ तक फैला था। दोनों रेंज से 50-50 हजार का इनाम और न्यायालय से स्थाई वारंट जारी थे।
एक साल से चल रहा था ऑपरेशन आईजी ने बताया कि पुलिस ने एक साल तक चले ऑपरेशन में कई बार दबिश दी। गृह प्रवेश, बेटे के जन्म पर गांव में, नीमच के होटल में, गुजरात में नए साल पर, नागपुर में ट्रक पर और जैसलमेर में बहन के ससुराल में तलाश की, लेकिन हर बार वह बच निकला।
आरोपी ड्राइविंग करने में काफी शातिर था। इसके चलते मादक पदार्थ से भरे ट्रक को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 20 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक लेता था। इसलिए आरोपी को अपने पाले में करने के लिए तस्करों के बीच में नीलामी होती थी जो सबसे ज्यादा पैसे देता था उसके साथ आरोपी जुट जाता था।