
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की अटकलों के बीच राजनीतिक हलचल तेज है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने बयान देकर मामले को और पेचीदा बना दिया है, चर्चा है कि कहीं धनखड़ भी सत्यपाल मलिक की तरह बागी रुख न अपना लें. सवाल यह भी उठ रहा है कि बीजेपी को लगातार जाट नेताओं का समर्थन क्यों नहीं मिल पा रहा. इसी बीच शिवराज सिंह चौहान के एक पुराने वीडियो का क्लिप फिर से वायरल हो गया है, जिससे मामला और गरमा गया है.
21 जुलाई की शाम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की सियासत को हिला कर रख दिया है. मानसून सत्र के पहले ही दिन यह फैसला सामने आया, जिससे सवालों की बाढ़ आ गई है. प्रधानमंत्री मोदी ने जहां 15 घंटे बाद उनकी अच्छी सेहत की कामना करते हुए ट्वीट किया, वहीं सरकार के बाकी मंत्री चुप्पी साधे हुए हैं. विपक्ष लगातार इस्तीफे की टाइमिंग और वजह को लेकर सवाल उठा रहा है. क्या यह केवल स्वास्थ्य कारण है या फिर सियासी रणनीति का हिस्सा? इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर सत्यपाल मलिक का नाम ट्रेंड करने लगा, और अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या धनखड़ पर भी वैसा ही कोई दबाव था, जैसा मलिक ने कई बार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है.
सत्यपाल मलिक देश के कई राज्यों- जम्मू-कश्मीर, बिहार, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रह चुके हैं। उनका कार्यकाल कई बड़े फैसलों के लिए जाना गया, जिनमें अनुच्छेद 370 की समाप्ति भी शामिल है. मलिक ने बार-बार केंद्र सरकार की आलोचना की है, खासकर पुलवामा हमले को लेकर उन्होंने दावा किया कि यह खुफिया विफलता का नतीजा था, और जवानों को हेलीकॉप्टर की जगह सड़क मार्ग से भेजा गया, ताकि राजनीतिक फायदा उठाया जा सके. उन्होंने कहा था,’सरकार ने इसका राजनीतिक लाभ लिया और जवानों की जान की कीमत पर राजनीति की. अब धनखड़ के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर तुलना शुरू हो गई है कि कहीं उन पर भी सत्ता का दबाव तो नहीं था?
चौधरी बिरेंद्र सिंह की भूमिका और जाट समीकरण पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह भी हाल के वर्षों में भाजपा से असहज नजर आए हैं. लंबे समय तक पार्टी में हाशिये पर रहे सिंह ने बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया. वे जाट समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं और उनकी नाराजगी भी भाजपा के जाट वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है. इसी परिप्रेक्ष्य में, धनखड़ – जो स्वयं जाट समुदाय से आते हैं उनके इस्तीफे को लेकर यह चर्चा और तेज हो गई है कि क्या यह कोई बड़ा राजनीतिक समीकरण है? गांव से सुप्रीम कोर्ट और फिर उप राष्ट्रपति भवन तक राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में जन्मे धनखड़ ने एक किसान परिवार से निकलकर वकालत में नाम कमाया. सुप्रीम कोर्ट तक प्रैक्टिस करने वाले धनखड़ 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे और फिर उपराष्ट्रपति पद पर आसीन हुए. राजस्थान में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है, खासकर जाट समुदाय के बीच. ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा के कुछ बड़े नेताओं से उनके संबंध तनावपूर्ण हो गए थे, जिसके चलते उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया.
कृषि मंत्री से तीखा सवाल, क्या बना वजह?
3 दिसंबर को संसद में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सार्वजनिक रूप से घेरा. उन्होंने कहा था कि ‘कृषि मंत्री जी, आपका हर पल भारी है. क्या पिछले कृषि मंत्रियों ने कोई लिखित वादा किया था? अगर किया था तो उसका क्या हुआ? मुझे समझ में नहीं आता कि किसानों से बातचीत क्यों नहीं हो रही… उनकी यह स्पष्ट और सख्त टिप्पणी सरकार के भीतर असहजता का कारण बनी, और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या यही टकराव उनकी विदाई की असल वजह बना?
धनखड़ के इस्तीफे पर चर्चा में क्यों सत्यपाल मलिक?
सोशल मीडिया में धनखड़ के इस्तीफे के बाद सत्यपाल मलिक ट्रेड कर रहा है जिसमें तरह- तरह का दावा किया जा रहा है. अशोक शर्मा नाम से एक यूजर्स ने वीडियो शेयर करते हुए कहा कि सत्यपाल मलिक याद है न कहीं जगदीप धनखड़ दूसरे सत्यपाल मलिक न बन जाए प्रभु उनकी रक्षा करना, वहीं एक और यूजर्स ने कहा कि, किसानों का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान, भाजपा राज में जो व्यक्ति किसान और जवान की बात करेगा उसको जलील किया जाएगा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा इसका जीता जागता उदाहरण है…, उससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ किया गया था.