पल पल राजस्थान / महावीर व्यास
अलवर. शहर के शिवाजी पार्क थाना क्षेत्र में बुधवार देर शाम एक 22 वर्षीय युवक अमित सैनी ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। अपने आखिरी दो पन्नों के सुसाइड नोट में अमित ने 3 पुलिसकर्मियों और 3 अन्य लोगों पर झूठे आरोप में फंसाने, मारपीट और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए लिखा—
“अब मुझे इंसाफ दिलाना भगवान भोले के हाथ में है।“
यह पंक्ति न केवल एक युवक की टूटती उम्मीद को बयां करती है, बल्कि पुलिस और प्रशासन पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।
झूठा केस, थर्ड डिग्री टॉर्चर और अपमान का आरोप
मृतक के पिता लक्ष्मण सैनी ने बताया कि 7 जुलाई को सदर थाना पुलिसकर्मी गुरमीत, मंजीत और फुलसिंह ने बेटे को चोरी के झूठे आरोप में उठाया। उनके साथ दिनेश राव, अनीश खान और नितिन भी थे।
अमित को धारा 151 में हिरासत में लिया गया और थाने में रातभर मारपीट की गई। उसे जान से मारने की धमकी भी दी गई।
वकील के माध्यम से परिजनों ने उसे छुड़वाया, लेकिन मोबाइल, पर्स और बाइक अब तक पुलिस के पास ही हैं।
जहर खाने से पहले पिता को बताया दर्द
बुधवार शाम अमित ने अपने पिता को कॉल कर कहा:
“पापा, इन्होंने मुझे बहुत पीटा और जलील किया। मैंने जहर खा लिया है, मुझे बचा लो…“
परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
अमित हाल ही में बेरोजगार हुआ था और एक साल पहले शादी हुई थी, अभी संतान नहीं थी।
प्रशासन के लिए गंभीर चेतावनी
घटना के बाद क्षेत्र में रोष और आक्रोश है। परिजनों ने न्याय की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की अपील की है।
एएसपी तेजपाल सिंह ने कहा, “परिजनों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच की जाएगी। यदि पुलिसकर्मियों की संलिप्तता पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई होगी।“
शिवाजी पार्क थाना के हेड कांस्टेबल लक्ष्मण सिंह ने भी पुष्टि की कि अमित को 151 के तहत हिरासत में लिया गया था और अब जांच की जा रही है।
अब सवाल उठता है—क्या मिलेगा अमित को इंसाफ?
अमित की मौत केवल एक आंकड़ा नहीं, प्रशासनिक असंवेदनशीलता और सिस्टम की बेरहमी का प्रमाण है।
क्या अब भी दोषियों को बचाया जाएगा या कोई नजीर बनाकर न्याय दिया जाएगा?