
लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था के लिए बढ़ते खतरे को देखते हुए, फेक न्यूज़ पर लगाम लगाने के लिए संसद की एक स्थायी समिति ने कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कड़े नियम बनाने की बात कही है। इस रिपोर्ट का असर उदयपुर में चल रहे करीब 50 से ज़्यादा यूट्यूब चैनल्स पर भी पड़ सकता है।
फेक न्यूज़ पर सख्ती
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली इस समिति ने सर्वसम्मति से मंजूर की गई अपनी रिपोर्ट में कुछ प्रमुख सुझाव दिए हैं:
- फेक न्यूज़ की स्पष्ट परिभाषा: समिति ने फेक न्यूज़ को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने और इसे फैलाने वालों पर लगने वाले जुर्माने को बढ़ाने की सिफारिश की है।
- फैक्ट-चेकिंग और आंतरिक लोकपाल: रिपोर्ट के अनुसार, सभी मीडिया संस्थानों को एक आंतरिक फैक्ट-चेकिंग सिस्टम और एक आंतरिक लोकपाल बनाना अनिवार्य होगा।
- संपादकों और प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही: अब तक की छूट के विपरीत, समिति ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, संपादकों और कंटेंट हेड्स की संपादकीय जिम्मेदारी तय करने का सुझाव दिया है। संस्थागत विफलता के लिए मालिकों और पब्लिशर्स को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा।
- एआई-जनरेटेड कंटेंट: रिपोर्ट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से बनाए गए फेक कंटेंट, खासकर महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों में, सख्त सजा की मांग की गई है। एआई-जनरेटेड कंटेंट पर लेबलिंग अनिवार्य होगी।
उदयपुर के यूट्यूब चैनल्स पर असर
उदयपुर में यूट्यूब चैनलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, ये सिफारिशें विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। कई स्थानीय चैनल बिना किसी संपादकीय नियंत्रण के काम करते हैं। इन नए नियमों से उन्हें अपने कंटेंट की प्रामाणिकता (authenticity) और सत्यापन (verification) पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
एक स्थानीय पत्रकार ने बताया, “यह एक बहुत ही ज़रूरी कदम है। कई छोटे यूट्यूब चैनल बिना तथ्यों की जांच किए खबरें फैलाते हैं, जिससे गलत सूचनाएं फैलती हैं। नए नियम लागू होने के बाद उन्हें अपनी जवाबदेही समझनी होगी।”
यह रिपोर्ट अगले संसदीय सत्र में पेश की जाएगी, जिसके बाद इस पर बहस और संभावित कानून बनाए जा सकते हैं।