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नई दिल्ली: भारत में युवा वयस्कों की अचानक मौत के मामलों की जांच कर रही दो महत्वपूर्ण स्टडीज ने स्पष्ट किया है कि कोविड-19 वैक्सीन और हार्ट अटैक से होने वाली अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) द्वारा किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को इस बारे में प्रेस रिलीज जारी की।
18 से 45 वर्ष की आयु वाले लोगों पर फोकस
स्टडी का मुख्य फोकस उन लोगों पर था जो 18 से 45 वर्ष की उम्र के बीच थे और जिन्हें पहले कोई गंभीर बीमारी नहीं थी, लेकिन वे अचानक मृत्यु का शिकार हो गए। यह स्टडी अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 तक के समय में हुई मौतों के आंकड़ों पर आधारित है।
कोविड वैक्सीन सुरक्षित, गंभीर साइड इफेक्ट रेयर
ICMR की स्टडी में पाया गया कि भारत में दी गई कोविड वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है। गंभीर साइड इफेक्ट्स के मामले बेहद दुर्लभ हैं। मौतों की वजह अधिकतर मामलों में जेनेटिक म्यूटेशन, लाइफस्टाइल, पहले से मौजूद बीमारियाँ, और कोविड संक्रमण के बाद की जटिलताएँ रही हैं।
दूसरी स्टडी: जेनेटिक फैक्टर्स की भूमिका
AIIMS और ICMR द्वारा की जा रही दूसरी स्टडी, जो अभी जारी है, के शुरुआती परिणाम बताते हैं कि अचानक हुई अधिकतर मौतों का प्रमुख कारण हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इंफार्क्शन (MI) है। इसमें जेनेटिक म्यूटेशन की अहम भूमिका बताई गई है।
वैक्सीन से जुड़े कुछ दुर्लभ रिस्क भी
हालांकि, ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका, जिसके फॉर्मूले पर भारत में कोवीशील्ड बनाई गई थी, ने अप्रैल 2024 में माना था कि उनकी वैक्सीन से थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसे दुर्लभ लेकिन गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
BHU स्टडी में सामने आए कुछ साइड इफेक्ट्स
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की एक स्टडी में पाया गया कि कोवैक्सिन लेने वाले कुछ लोगों में साइड इफेक्ट्स जैसे कि सांस संबंधी संक्रमण, खून के थक्के, स्किन समस्याएं, और मासिक धर्म में अनियमितता देखी गई। खासकर किशोरियों और एलर्जी वाले लोगों में यह प्रभाव अधिक देखने को मिले।