जयपुर में बिना परमिशन निकाली बच्चे की आंखें,अंतिम संस्कार के समय परिवार को पता चला, सिर पर चोट लगने से हुई थी मौत

जयपुर , जयपुर में एक 10 साल के बच्चे की मौत के बाद परिजनों की अनुमति के बिना उसकी आंखें निकाल ली गईं। बच्चे की मौत सिर में चोट लगने के कारण हुई थी।

जब परिवार वाले अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, तब दोनों आंखें नहीं होने का पता लगा। आरोपी ने परिवार को झूठा आश्वासन दिया कि उसने आंखों का दान कर दिया है।

मामले में 2 अक्टूबर को जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल (SMS) हॉस्पिटल थाने में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
ASI सुरजमल ने बताया- परिवादी की शिकायत पर FIR दर्ज कर जांच की जा रही है। बयान दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अभी तक जांच में आई डोनेट का सटिर्फिकेट भी परिजनों को दिया जाना सामने आया है
समझिए पूरा मामला…

  1. 2023 में हुई थी बच्चे की मौत
    ASI सुरजमल ने बताया- करौली के टोडाभीम निवासी किरोड़ी लाल मीना (45) ने FIR दर्ज करवाई है। शिकायत में बताया- 6 अगस्त 2023 को दोपहर करीब 1 बजे राजौर गांव में पानी की टंकी बनाई जा रही थी। निर्माण काम के दौरान बेटा समर मीना (10) अपने दो-तीन दोस्तों के साथ पास ही खेल रहा था।

खेलते समय अचानक पानी की टंकी से लोहे की एक चद्दर समर के सिर पर गिर गई। गंभीर चोट लगने पर उसे बालघाट स्थित सरकारी हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टर्स ने हालत गंभीर देखते हुए जयपुर के SMS हॉस्पिटल रेफर कर दिया। जयपुर लाते समय रास्ते में बेटे समर की मौत हो गई।

2.जयपुर आ जाओ, अच्छे डॉक्टर को दिखना चाहता हूं
समर मीना के पिता किरोड़ी लाल ने बताया- बेटे समर की मौत होने पर वापस घर लेकर चलने की राय बना रहे थे। इस दौरान गांव के ही रहने वाले परिचित मदनमोहन का कॉल आया। कहा- आप जयपुर आ जाओ।

मैं इसे किसी अच्छे डॉक्टर को दिखना चाहता हूं। हो सकता है आपका बेटा जिंदा हो। आरोप है कि मदनमोहन ने पहले ही बच्चे की आंखों का सौदा कर रखा था। मदन मोहन ने धोखे से झांसा देकर जयपुर बुलाकर बच्चे की आंखों को बेच दिया।

  1. अंतिम संस्कार में आंखें निकालने का पता चला
    पिता का आरोप है कि बेटे की डेड बॉडी का अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के दौरान देखने पर आंखें निकालने का पता चला। बच्चे की दोनों आंखों को बेचकर झूठा आश्वासन देने लगा कि मैंने उसकी आंखों का दान कर दिया। बेटे की आंखों को दान करने के संबंध में उनसे पूछा भी नहीं।
  2. FIR दर्ज करवाने की कहने पर टालमटोल करता रहा आरोपी
    आंखों के बिना परमिशन निकालने पर FIR दर्ज करवाने की कहने पर टालमटोल करता रहा। कहता रहा कि आप चिंता मत करो, मैंने हाईकोर्ट में मुकदमा दर्ज करवा दिया है। फैसला आपके पक्ष में ही आएगा। हाईकोर्ट में केस को समय लगाता है।

एक साल समय निकलने के बाद पूछने पर बोला- अभी ओर समय लगेगा। धोखे का एहसास होने पर जयपुर के SMS हॉस्पिटल थाने में मानव अंग और उतक प्रत्यारोपण अधिनियम के तहत FIR दर्ज करवाई।

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