
उदयपुर, राजस्थान: उदयपुर के प्रतिष्ठित आलोक स्कूल में हुई वीभत्स घटना ने पूरे राजस्थान को हिलाकर रख दिया था। उस घटना के सदमे से लोग अभी उबरे भी नहीं थे कि एक और हैवानियत का मामला सामने आया है। इस बार दौसा में एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर ने आठवीं कक्षा की एक नाबालिग छात्रा के साथ अश्लील हरकत की। यह घटना दर्शाती है कि उदयपुर की त्रासदी एक अकेला मामला नहीं था, बल्कि यह एक गहरी होती सामाजिक बीमारी का लक्षण है जहाँ हमारे शिक्षा संस्थान बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं रह गए हैं।
उदयपुर से दौसा तक: एक ही दर्द, अलग जगह
उदयपुर की घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि जब प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो आम लोगों का क्या होगा। अब दौसा की यह घटना उसी डर को और बढ़ा रही है। जहाँ उदयपुर में स्कूल के ही कर्मचारी पर जघन्य अपराध का आरोप लगा था, वहीं दौसा में स्कूल का मुखिया ही आरोपी है। यह सिर्फ़ एक अलग शहर और एक अलग स्कूल की बात नहीं है, बल्कि यह एक ही तरह के मानसिक अपराध की पुनरावृत्ति है, जो पूरे राजस्थान में मासूमों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
गुस्साए लोगों ने हेडमास्टर को पीटा
गुरुवार दोपहर करीब 12 बजे, छात्रा के साथ हुई इस घिनौनी हरकत के बारे में पता चलने पर उसके परिजन और गांव की महिलाएं गुस्से से भर गईं। उन्होंने स्कूल पहुंचकर आरोपी हेडमास्टर की चप्पलों और जूतों से जमकर पिटाई की। इस दौरान हेडमास्टर के कपड़े भी फट गए। पापड़दा थाना इंचार्ज संतचरण सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला और हेडमास्टर को हिरासत में लिया। पुलिस ने बताया कि पीड़ित परिवार के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और जल्द ही मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना एक बार फिर इस बात को दोहराती है कि समाज में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए कड़े कानूनों और जागरूकता की सख्त जरूरत है। अगर उदयपुर जैसी बड़ी घटनाओं से भी कोई सबक नहीं लिया गया, तो ऐसे अपराधों का सिलसिला रोकना मुश्किल हो जाएगा।