पल पल राजस्थान। महावीर व्यास
मोखुंदा | ग्राम पंचायत मोखुंदा में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मुस्लिम समुदाय ने चालीसमें मोहर्रम का पर्व पारंपरिक गमी और मातमी अंदाज में मनाया।
मीडिया प्रभारी मोहम्मद अशरफ रंगरेज ने बताया कि 40 वे मोहर्रम का अर्थ इमाम हुसैन की शहादत के 40 दिन बाद मनाया जाने वाला शोक का कार्यक्रम है जिसमें कर्बला के मैदान में पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है और इस दिन कुरान खानी तकरीर और लंगर का आयोजन होता है।
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम वर्ष का पहला और रमजान के बाद दूसरा सबसे बड़ा महीना माना जाता है। यह खुशी नहीं, बल्कि गम और कुर्बानी की याद में मनाया जाने वाला पर्व है।
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कर्बला के शहीदों की याद में शब्बील, हलीम और मिठाइयों का वितरण किया। साथ ही फातिहा पढ़कर इशाले सवाब की दुआ की गई। समुदाय के सदर जनाब कमरुद्दीन शोरगर ने जानकारी दी कि 13 अगस्त को सुबह 11 बजे मुस्लिम बस्ती से ताजिया मुकाम की ओर रवाना हुआ। यह जुलूस आम बाजारों से गुजरते हुए शाम 4 बजे मोखुंदा बस स्टॉप पर अखाड़े के कार्यक्रम के साथ समाप्त हुआ।
शाम 7 बजे खाखरमाला रोड स्थित सार्वजनिक कुएं पर ठंडा कार्यक्रम के साथ आयोजन का समापन हुआ। मौलाना मुख्तार अहमद ने कर्बला के शहीदों को याद करते हुए विशेष दुआ करवाई।
शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजस्व विभाग बिजली विभाग का स्टाफ, रायपुर थाने से सुरक्षा जवान तथा मीडिया प्रभारी मोहम्मद अशरफ रंगरेज सहित प्रशासन के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। मुस्लिम समुदाय ने सभी अधिकारियों एवं जिला प्रमुख प्रतिनिधि लेहरु लाल जी भील का साफा पहनाकर स्वागत किया।
इस मौके पर लाइसेंसधारी जनाब मुबारक हुसैन मंसूरी, सदर जनाब कमरुद्दीन शोरगर हुसैनी कमेटी के उस्ताद जनाब निजामुद्दीन शोहरगर सहित सैकड़ों मुस्लिम भाई, बुजुर्ग, महिलाएं एवं बच्चे मौजूद रहे। आयोजन पूरी तरह शांतिपूर्ण और धार्मिक श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ।