17 साल बाद राष्ट्रसंत पुलक सागर महाराज का भव्य चातुर्मास इस वर्ष उदयपुर में, 6 जुलाई को होगा मंगल प्रवेश
पल पल राजस्थान/महावीर व्यास
उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर एक बार फिर अध्यात्म की सुगंध से महकने जा रही है। 17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद राष्ट्रसंत जैनाचार्य पुलक सागर महाराज का वर्ष 2025 का चातुर्मास उदयपुर में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर को लेकर उदयपुर जैन समाज सहित संपूर्ण मेवाड़ क्षेत्र में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण है।
गुरुवार को देबारी स्थित जीजे आयुर्वेद एंड नेचुरोपैथी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में आयोजित पत्रकार वार्ता में आचार्य श्री ने इस चातुर्मास की घोषणा करते हुए कहा कि उदयपुर आना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा, “मेरे शब्दों से यदि किसी एक व्यक्ति का जीवन भी बदलता है, उसका घर स्वर्ग बनता है, तो यह चातुर्मास सार्थक हो जाएगा। मैं यहां केवल प्रवचन देने नहीं, बल्कि लोगों के दिलों तक बात पहुँचाने और टूटे-बिखरे परिवारों को जोड़ने आया हूँ।”
आचार्य श्री ने यह भी बताया कि कोरोना काल से पहले उदयपुर चातुर्मास का भाव था, लेकिन महामारी ने सभी की योजनाओं को प्रभावित किया। अब समय आ गया है जब समाज फिर से आध्यात्मिक चेतना की ओर लौटे।
चातुर्मास का शुभारंभ 6 जुलाई रविवार को सुबह 7:30 बजे फतह स्कूल प्रांगण से एक भव्य शोभायात्रा के साथ होगा। इस शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, बग्गियां, आकर्षक झांकियां और हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेंगे। शोभायात्रा सूरजपोल होते हुए नगर निगम प्रांगण पहुंचेगी, जहां आचार्य श्री का प्रवचन होगा। उसके पश्चात सभी श्रद्धालुओं के लिए स्वामी वात्सल्य का आयोजन किया गया है।
इस ऐतिहासिक आयोजन के तहत आगामी दिनों में कई प्रमुख धार्मिक कार्यक्रम भी होंगे। 12 जुलाई को गुरु गुणगान महोत्सव, 13 जुलाई को दिव्य मंगल कलश स्थापना, और 20 जुलाई से 15 अगस्त तक 26 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सर्व धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष प्रवचन श्रृंखला होगी। इसके अलावा पर्युषण महापर्व का आयोजन 28 अगस्त से 6 सितंबर तक किया जाएगा, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु तपस्या करेंगे और 7 सितंबर को महापारणा तथा 14 सितंबर को क्षमावाणी पर्व मनाया जाएगा।
संपूर्ण आयोजन सकल जैन समाज उदयपुर, श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर, अखिल भारतीय पुलक जन चेतना मंच तथा महावीर युवा संगठन के संयुक्त तत्वावधान में किया जाएगा। आयोजन समिति में विनोद फांदोत, आदिश खोड़निया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मनोत, प्रकाश सिंघवी और श्रीपाल धर्मावत जैसे वरिष्ठ सदस्य विभिन्न जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
17 साल बाद उदयपुर में हो रहा यह चातुर्मास केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि अध्यात्म, संस्कृति और समाज में सकारात्मक ऊर्जा भरने का अवसर है। राष्ट्रसंत पुलक सागर महाराज के सान्निध्य में झीलों की नगरी फिर से धर्म, संयम और साधना की धारा से सराबोर होने को तैयार है।