उदयपुर नगर निगम आयुक्त राम प्रकाश बने तानाशाह, जनता और मीडिया को जवाब देना भी गंवारा नहीं!

पल पल राजस्थान | महावीर व्यास

Udaipur News उदयपुर नगर निगम आयुक्त राम प्रकाश का रवैया अब किसी तानाशाह से कम नहीं रह गया है। शहर की जनता की शिकायतें रोजाना अखबारों और सोशल मीडिया पर छपती हैं, लेकिन निगम प्रशासन कानों में रुई डालकर बैठा है। सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है, टैक्स वसूली के नाम पर सीज की कार्रवाई हो रही है, लेकिन जब कोई जवाब मांगने जाता है, तो नगर निगम के दरवाजे बंद मिलते हैं। इतना ही निगम के पूर्व उपमहापौर और कई पार्षदों को अपने चैम्बर में आने के लिए मना कर चुके है।

पत्रकारों द्वारा नगर निगम की लापरवाहियों पर जब आयुक्त राम प्रकाश से प्रतिक्रिया मांगी जाती है, तो उनका रुख तानाशाही से भरा होता है। उन्होंने खुलेआम कह दिया है – “आपको जो लिखना है, लिखिए, लेकिन नगर निगम का कोई भी अधिकारी किसी भी मामले में कोई जानकारी नहीं देगा!” यह बयान सिर्फ मीडिया को ठेंगा दिखाने तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक ढांचे पर सीधा हमला है। नगर निगम एक सार्वजनिक संस्था है, जिसका उद्देश्य जनता की समस्याओं का समाधान करना है, लेकिन आयुक्त ने इसे अपनी जागीर समझ रखा है। शहर में करदाताओं पर लगातार सीज की कार्रवाई की जा रही है। लोग अपनी शिकायतें लेकर निगम कार्यालय जाते हैं, लेकिन वहां किसी को कोई जवाब नहीं मिलता। जब शिकायतकर्ता उम्मीद लेकर मीडिया के पास आते है तो मीडियाकर्मी उन सवालो का जवाब लेने आयुक्त के पास पहुंचते है तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि मीडिया को जवाब देने के अलावा भी और कई काम है यही नहीं आयुक्त महोदय यहाँ तक कह दिया कि जनता के अलावा और भी कई सरकारी काम है जिन्हे उन्हें करना पड़ता है। लेकिन जनाब आयुक्त यह भूल गए कि यह निगम आयुक्त की कुर्सी जनता की जवाबदेही के लिए है जिसका उन्हें जवाब तो देना पड़ेगा। ऐसे में लगता है कि क्या अब नगर निगम गुंडागर्दी पर उतर आया है? टैक्स वसूलना है, लेकिन जवाबदेही से बचना है—यह कौन सा प्रशासनिक मॉडल है? नगर निगम राम प्रकाश की तानाशाही से अब शहर में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। जनता सवाल कर रही है—क्या अब हमें अपनी आवाज बुलंद करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा? अगर प्रशासन ने जवाबदेही से ऐसे ही किनारा किया, तो जनता के सब्र का बांध कभी भी टूट सकता है। अब देखना यह होगा कि उदयपुर की जनता इस निरंकुश आयुक्त को कब तक बर्दाश्त करेगी, या फिर उनके इस्तीफे की मांग उठेगी! क्या राम प्रकाश अपनी गूंगी-बहरी नीति को बदलेंगे, या फिर जनता खुद उन्हें सबक सिखाने को मजबूर होगी?

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