पल पल राजस्थान / महावीर व्यास
जयपुर. राजस्थान की लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए चलाई जा रही RGHS योजना (राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) अब बंद होने की कगार पर है। योजना के तहत 701 निजी अस्पतालों को 980 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं मिलने से असंतुष्ट होकर अस्पतालों की यूनियन ने साफ कर दिया है कि 15 जुलाई से इलाज बंद कर दिया जाएगा। इस निर्णय में इमरजेंसी सेवाएं भी शामिल होंगी।
गहलोत का तीखा वार – ‘प्रबंधन फेल्योर’
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर मौजूदा भजनलाल शर्मा सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही और आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से यह जनकल्याणकारी योजना खतरे में आ गई है। गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा,
“हर महीने कर्मचारियों के वेतन से कटौती हो रही है, लेकिन इलाज नहीं मिल रहा। इससे बड़ा प्रबंधन फेल्योर और क्या हो सकता है?“
गंभीर परिणाम की चेतावनी
राजस्थान एसोसिएशन ऑफ हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स ने विज्ञापन जारी कर सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि यदि 980 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान तुरंत नहीं हुआ, तो 15 जुलाई से RGHS के तहत इलाज बंद कर दिया जाएगा। इसका असर हजारों मरीजों पर पड़ेगा, जिनका इलाज योजना के तहत चल रहा है।
‘भाजपा सरकार योजना को बर्बाद कर रही है’ – गहलोत का आरोप
गहलोत ने कहा कि RGHS योजना उनकी सरकार की एक लोक-हितैषी पहल थी, जो सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिजनों को नि:शुल्क व गरिमापूर्ण इलाज उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने तत्काल भुगतान प्रक्रिया दुरुस्त नहीं की, तो इस योजना का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
राजनीतिक विरोध भी तेज
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है और पूछा है कि जब वेतन से पैसा कट रहा है, तो अस्पतालों को भुगतान क्यों नहीं हो रहा?
लाखों लोगों की सेहत पर संकट
अगर 15 जुलाई से इलाज बंद होता है, तो इससे ना सिर्फ हज़ारों रोगियों की जान जोखिम में पड़ेगी, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बड़ा बोझ बढ़ेगा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह फैसला राजनीतिक और प्रशासनिक गंभीरता से विचारने योग्य है।