
मेवाड़ के कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में गुरुवार को भंडार की गिनती का आखिरी दौर पूरा हुआ। इस अंतिम राउंड में 44 लाख 24 हजार 476 रुपए गिने गए। इसके साथ ही चारों चरणों को जोड़ने पर नकद भंडार से कुल 18 करोड़ 75 लाख 44 हजार 476 रुपए की प्राप्ति हुई। इसके अलावा ऑनलाइन और मनीऑर्डर से 4 करोड़ 58 लाख 21 हजार 846 रुपए आए। इस तरह, इस बार मंदिर को कुल 23 करोड़ 33 लाख 66 हजार 322 रुपए का चढ़ावा मिला।
हर महीने की परंपरा, इस बार भी खुले भंडार
सांवलियाजी मंदिर में हर महीने अमावस्या से पहले चतुर्दशी के दिन भंडार खोलने की परंपरा है। इसी परंपरा के अनुसार इस बार 20 सितम्बर को भंडार खोला गया। पहले ही दिन गिनती शुरू हुई तो श्रद्धालुओं की आस्था और दान का बड़ा रूप सामने आया। पहले राउंड में ही 9 करोड़ 70 लाख रुपए नकद मिले।
अगले दिन अमावस्या थी। उस दिन मंदिर परिसर में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। भीड़ को देखते हुए गिनती रोक दी गई, ताकि अव्यवस्था न फैले। सोमवार को भी गिनती नहीं हो पाई क्योंकि उस दिन नवरात्रि स्थापना के साथ बैंक अवकाश था। भंडार की गिनती हमेशा बैंक अधिकारियों और मंदिर मंडल की देखरेख में होती है। छुट्टी की वजह से गिनती आगे बढ़ाई गई।
चारों चरणों में 18.75 करोड़ रुपए की हुई प्राप्ति
छुट्टी खत्म होने के बाद मंगलवार को दोबारा गिनती शुरू हुई। सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच पूरे दिन दानपेटियों का हिसाब निकाला गया। इस दूसरे दौर में 6 करोड़ 95 लाख 50 हजार रुपए निकले।
बुधवार को तीसरे राउंड की गिनती हुई। सुबह से शाम तक लगातार नोट गिने गए और इस बार 1 करोड़ 65 लाख 70 हजार रुपए सामने आए। इन तीन राउंड तक का कुल आंकड़ा 18 करोड़ 31 लाख 20 हजार रुपए तक पहुंच गया।
गुरुवार को अंतिम राउंड में 44 लाख 24 हजार 476 रुपए और मिले। इस तरह चारों राउंड मिलाकर नकद भंडार की कुल गिनती 18 करोड़ 75 लाख 44 हजार 476 रुपए रही।
सोना और चांदी का भी हुआ तौल
नकद दान के साथ इस बार सोना-चांदी का चढ़ावा भी खूब मिला। भंडार से 200 ग्राम और भेंट कक्ष से 54 ग्राम 100 मिलीग्राम सोना प्राप्त हुआ। यानी कुल 254 ग्राम 100 मिलीग्राम सोना आया। इसी तरह दानपेटी से 57 किलो 200 ग्राम और भेंट कक्ष से 69 किलो 674 ग्राम 500 मिलीग्राम चांदी निकली। इस तरह कुल 126 किलो 874 ग्राम 500 मिलीग्राम चांदी प्राप्त हुई।
आस्था का केंद्र है सांवलियाजी
श्री सांवलियाजी मंदिर को मेवाड़ का कृष्णधाम कहा जाता है। यहां न सिर्फ राजस्थान बल्कि देशभर से भक्त पहुंचते हैं। हजारों श्रद्धालु रोज मंदिर में माथा टेकते हैं और अपनी आस्था के अनुसार दान चढ़ाते हैं। कोई सिक्के डालता है, कोई नोट चढ़ाता है और कई भक्त सोने-चांदी के आइटम्स अर्पित कर देते हैं।
भक्तों का विश्वास है कि सांवलियाजी के दरबार में मन की हर मुराद पूरी होती है। जीवन के संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि मिलती है। यही कारण है कि यहां के भंडार में हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है।