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चित्तौड़गढ़। लंबे समय से चल रही खींचतान और इस्तीफों के बाद चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड का बोर्ड भंग कर दिया गया है। रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान, जयपुर ने आदेश जारी कर जिला कलक्टर को संघ का प्रशासक नियुक्त किया है। वे आगामी चुनाव तक संघ का संचालन संभालेंगे।
कोरम पूरा न होने से मंडल अल्पमत में
दुग्ध संघ के उपनियमों के अनुसार संचालक मंडल में कुल 16 सदस्य होने चाहिए। इसमें 12 निर्वाचित, 3 मनोनीत और प्रबंध निदेशक सचिव के रूप में शामिल होते हैं।
हालांकि, लगातार इस्तीफों और पद खाली होने के कारण हालात बिगड़ गए। वर्तमान में केवल 4 निर्वाचित और 4 मनोनीत सदस्य ही बोर्ड में मौजूद थे, जबकि कोरम पूरा करने के लिए कम से कम 9 सदस्य जरूरी थे। इसके चलते बैठक बुलाना और फैसले लेना असंभव हो गया।
लगातार इस्तीफों और मनमानी आरोपों से बोर्ड कमजोर
12 सितंबर की सुनवाई में तीन सदस्य जमनालाल, भैरूलाल और मदनलाल ने इस्तीफा दे दिया। 25 सितंबर को उमा देवी, सीता देवी और सुमन देवी ने भी मनमानी के आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया। इस बीच अध्यक्ष बद्रीलाल जाट नोटिस मिलने के बावजूद सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए।
इसके अलावा, हथियाना दुग्ध समिति में प्रशासक की नियुक्ति हो चुकी है और रेण का खेड़ा महिला ग्राम विकास दुग्ध समिति की अध्यक्ष को हटाया गया। इन परिस्थितियों ने बोर्ड को और कमजोर कर दिया।

कानूनी प्रावधानों के तहत भंग
राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 (संशोधित 2013) की धारा 30(1)(ख) के तहत अगर समिति के गठन या कार्यों में गतिरोध हो, तो रजिस्ट्रार बोर्ड को भंग कर प्रशासक नियुक्त कर सकता है। चूंकि संघ में कोरम नहीं था और बैठकें संभव नहीं थीं, इसलिए यह कार्रवाई की गई।
प्रशासक के तौर पर जिला कलक्टर
रजिस्ट्रार ने निर्देश दिया है कि जिला कलक्टर अगले छह महीने तक या नए बोर्ड के चुनाव तक संघ का प्रबंधन संभालेंगे। साथ ही, जल्द से जल्द नए संचालक मंडल का चुनाव करवाने का आदेश दिया गया है, ताकि लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया बोर्ड कार्यभार संभाल सके।