पल पल राजस्थान – हर्ष जैन
उदयपुर। लेकसिटी में इन दिनों पर्यटकों से गुलजार है, और इसी के साथ बाइक रेंटल का कारोबार भी पूरे जोरों पर है। पर्यटक टैक्सी की बजाय सस्ती और सुविधाजनक बाइक राइड को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन इस बढ़ते ट्रेंड के पीछे कई गंभीर अनियमितताएं भी सामने आ रही हैं, जो न केवल सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती हैं।
परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी बाइक रेंटल सेवा को शुरू करने के लिए कम से कम 10 दोपहिया वाहन, उपयुक्त कार्यालय और पार्किंग स्पेस अनिवार्य है। लेकिन शहर में यह व्यवसाय महज 2–3 गाड़ियों के साथ शुरू किया जा रहा है — वह भी बिना लाइसेंस, बिना रजिस्ट्रेशन और बिना किसी मान्यता के।
बाजार में एक्टिवा जैसी स्कूटियों के लिए प्रतिदिन 250 से 300 रुपये और बाइकों के लिए 600 से 700 रुपये की दर तय की गई है। लेकिन सच्चाई यह है कि पर्यटकों की संख्या देख कर ये छोटे रेंटल ऑपरेटर मनमानी दरें वसूलते हैं। सूत्रों के अनुसार, शहर के कई होटलों से इन छोटे बाइक रेंटल ऑपरेटरों का सीधा संपर्क होता है। जैसे ही कोई पर्यटक रेंटल की जानकारी मांगता है, होटल स्टाफ उन्हें इनसे जोड़ देता है। इसके बदले में होटल को कमीशन भी मिलता है। यहां तक कि कुछ होटल स्टाफ खुद के नाम पर वाहन खरीदकर रेंट पर दे रहे हैं। इस तरह बिना रजिस्ट्रेशन, बिना इंश्योरेंस और बिना उचित निगरानी के रेंट पर दी जा रही बाइकों से यदि कोई दुर्घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? न वाहन मालिक का पता, न पहचान का रिकॉर्ड, और न ही कोई वैध अनुबंध — ऐसे में पर्यटक और शहर दोनों खतरे में पड़ सकते हैं। परिवहन विभाग ने इस संबंध में कई बार अभियान चलाने की बात कही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। अब जरूरत है कि संबंधित विभाग तत्काल जांच करें और इस अनियंत्रित होते कारोबार को नियमों के दायरे में लाएं।