खत्म हुए गिले-शिकवे! अशोक गहलोत से मिले सचिन पायलट

पल पल राजस्थान / महावीर व्यास
जयपुर: राजस्थान कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है। दोनों ही नेताओं के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए सियासी युद्ध भी हो चुका है। यह युद्ध केवल जुबानी हमले तक सिमित नहीं था बल्कि सड़क पर भी हुआ था। आपसी टकराव के चलते ही कांग्रेस राजस्थान की सत्ता में वापसी नहीं कर सकी।

पूरे पांच साल बाद ये दोनों दिग्गज नेता एक साथ नजर आए। नाम तो आप समझ ही गए होंगे कि यहां कांग्रेस के किन नेताओं की बात हो रही है। जी हां, अशोक गहलोत और सचिन पायलट। शनिवार को इन दोनों नेताओं की अहम मुलाकात हुई। सिर्फ मुलाकात ही नहीं बल्कि हंसते खिलखिलाते मिलने के फोटो और वीडियो भी सामने आए। अब राजस्थान की सियासत में यह चर्चाएं हो रही है कि क्या गहलोत और पायलट के बीच सारे गिले शिकवे दूर हो गए।

पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार दोपहर को अचानक पूर्व सीएम अशोक गहलोत के सरकारी आवास पर पहुंचे। 

दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और मुस्कुराते हुए फोटो वीडियो शूट कराए। दरअसल 11 जून को सचिन पायलट के पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की 25 वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर दौसा में कार्यक्रम होना प्रस्तावित है। इसी कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए सचिन पायलट खुद अशोक गहलोत के निवास पर पहुंचे और उन्हें आमंत्रण पत्र दिया।

अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सचिन पायलट के आने और मुलाकात करने की तस्वीर साझा की। तस्वीर के साथ गहलोत ने पोस्ट करके स्वर्गीय राजेश पायलट के निधन पर आज तक उन्हें दुख होने की बात लिखी। गहलोत ने लिखा कि वे और राजेश पायलट वर्ष 1980 में पहली बार एक साथ ही लोकसभा में पहुंचे थे। करीब 18 साल तक साथ ही सांसद रहे। उनके आकस्मिक निधन पर का उन्हें आज तक दुख है। गहलोत ने कहा कि उनके (स्वर्गीय राजेश पायलट) जाने से पार्टी को गहरा आघात लगा। गौरतलब है कि वर्ष 2020 में दौसा के पास हुए सड़क हादसे में राजेश पायलट का निधन हो गया था।

स्वर्गीय राजेश पायलट और अशोक गहलोत पक्के दोस्त थे लेकिन सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की राजनीतिक दुश्मनी जगजाहिर है। पांच साल पहले इन दोनों दिग्गज नेताओं के बीच सियासी तलवारें खिंच गई थी। ऐसी खबरें आई थी कि मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए पायलट और उनके समर्थकों ने बगावत का ऐलान कर दिया। 19 विधायक राजस्थान छोड़कर अज्ञात स्थान पर चले गए और अपने अपने मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए। एक दिन बाद पता चला कि वे हरियाणा के मानेसर स्थित होटल में ठहरे हुए हैं। इससे गहलोत सरकार संकट में आ गई थी। करीब 34 दिन तक सियासी युद्ध चला। इस दौरान नकारा, निकम्मा और गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी हुआ। आखिर में अशोक गहलोत सरकार बचाने में कामयाब रहे। तब से गहलोत और पायलट के बीच राजनैतिक दुश्मनी जारी है। अब दोनों की इस मुलाकात से नई चर्चाएं शुरु हो गई। लोग एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि क्या इन दोनों नेताओं के बीच सारे गिले शिकवे दूर हो गए। हालांकि यह भी सच है कि हाथ भले ही मिला लिए हों लेकिन दिल में कसक हमेशा बनी रहेगी।

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