पल पल राजस्थान – विकास टाक
सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर की आना सागर झील और उसके आसपास हुए अनियमित निर्माणों को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के फैसले को बरकरार रखते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार की नीतियां पर्यावरण और जनता, दोनों के लिए घातक साबित हुईं। डिप्टी मेयर नीरज जैन ने कहा कि गहलोत सरकार के अनुचित निर्णयों के कारण अजमेर को बाढ़ जैसी आपदा झेलनी पड़ी, जिससे शहर को भारी नुकसान हुआ और कई इलाकों में पांच दिनों तक जलभराव की स्थिति बनी रही।
नीरज जैन ने आरोप लगाया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हुए कार्यों में भारी अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ, जिससे केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को भी नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक मनमानी और गलत नीतियों के कारण आना सागर झील का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ गया, जिससे जलभराव और बाढ़ की समस्या उत्पन्न हुई।
भजनलाल शर्मा सरकार ने एनजीटी के आदेशों का सम्मान करते हुए अवैध निर्माणों को हटाने के लिए छह महीने का समय मांगा है। इसके विपरीत, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की और झूठे शपथ पत्र दाखिल किए। जैन ने मांग की कि इस मामले में दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और अजमेर की जनता को हुए नुकसान की भरपाई उनसे करवाई जाए।
उन्होंने आश्वासन दिया कि वर्तमान सरकार एनजीटी के निर्देशों का पालन करेगी और आना सागर झील सहित पूरे अजमेर की समस्याओं का समाधान करेगी। यह मामला केवल अवैध निर्माणों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का भी गंभीर उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि गहलोत सरकार की नीतियों ने अजमेर को जलभराव और बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया। अब देखना होगा कि दोषी अधिकारियों पर कब तक कार्रवाई होती है और जनता को न्याय कब तक मिलता है।