अंगदान से रोकी जा सकती हैं सैकड़ों मौतें

डॉक्टर्स ने समझाया जीवन बचाने का महत्व, जानिए कैसे बन सकते ‘महादानी’

जोधपुर। अंगदान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने और लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मंगलवार को कमला नेहरू टीबी एंड चेस्ट हॉस्पिटल में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। अधीक्षक डॉ. सी.आर. चौधरी की अगुवाई में अस्पताल स्टाफ और मरीजों ने अंगदान करने की शपथ ली और इस पुनीत कार्य में सहयोग का संकल्प लिया।

क्यों है अंगदान इतना ज़रूरी?
डॉ. चौधरी ने इस मौके पर कहा कि राज्य सरकार के इस अभियान का मुख्य मकसद हर व्यक्ति को अंगदान के महत्व से जागरूक करना है, ताकि किसी एक व्यक्ति की मौत दूसरों की जिंदगी का आधार बन सके। उन्होंने बताया कि किडनी, लिवर या हार्ट फेल होने के कारण हर साल हजारों मरीजों की मौत हो जाती है। यदि अंगदान की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाए, तो ऐसे सैकड़ों लोगों को नई जिंदगी दी जा सकती है।

भारत में हर साल हज़ारों मरीज़ों को किडनी, लिवर, आंख या हार्ट ट्रांसप्लांट की सख्त ज़रूरत होती है, लेकिन दाता (डोनर) न मिलने के कारण उनकी असमय मृत्यु हो जाती है।

डॉक्टर्स के अनुसार, मृत्यु के बाद एक व्यक्ति द्वारा किया गया अंगदान आठ लोगों की जान बचा सकता है, साथ ही 50 से अधिक लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकता है।

कौन कर सकता है अंगदान?
18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए या मृत्यु के बाद अंगदान की इच्छा जताकर डोनर बन सकता है।

जीवित व्यक्ति: अपनी एक किडनी, लिवर का हिस्सा, या ब्लड और बोन मैरो दान कर सकता है।

मृत्यु के बाद: व्यक्ति का दिल, लिवर, किडनी, फेफड़े, पैंक्रियास, कॉर्निया और त्वचा जैसे महत्वपूर्ण अंग दान किए जा सकते हैं।

इच्छुक व्यक्ति राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण संस्था (NOTTO) या राज्य स्तरीय अंगदान रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराकर इस महान दान का हिस्सा बन सकते हैं।

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