उदयपुर में भूमाफियाओं का बड़ा खेल, 65 साल पुरानी जमीन हड़पी,फर्जीवाड़े में पटवारी भी शामिल, 12 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज

उदयपुर। जमीन हड़पने के लिए भूमाफियाओं के एक बड़े गिरोह ने फर्जी कागजात तैयार कर एक व्यक्ति की बेशकीमती जमीन को हथियाने का प्रयास किया है। इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के अनुसार, उदय विलास हवेली के भगवत सिंह राणावत ने सवीना पुलिस थाने में एक रिपोर्ट दर्ज कराई है। रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि उनके पिता जोरावर सिंह राणावत ने साल 1959 में हल्दीघाटी, डाकन कोटड़ा में जमीन खरीदी थी, जिस पर वे पिछले 65 सालों से खेती कर रहे हैं।

भूमाफियाओं ने किया जमीन पर कब्जा करने का प्रयास

भगवत सिंह ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि 27 नवंबर 2021 को राजेश खटीक और अनवर हुसैन ने 30-40 आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के साथ मिलकर जेसीबी से उनकी जमीन की चारदीवारी तोड़ दी और जमीन पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की। इसके बाद उन्होंने सवीना थाने में एक मामला दर्ज कराया। पुलिस ने जांच के बाद राजेश खटीक और अन्य के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया।

इसी दिन, राजेश खटीक ने भी भगवत सिंह के खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज कराया, जिसे पुलिस ने झूठा मानते हुए कोर्ट में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) पेश कर दी।

फर्जीवाड़े का खुलासा

जांच के दौरान भगवत सिंह को पता चला कि साल 2005 में सेटलमेंट की गलती के कारण उनकी जमीन का एक हिस्सा ‘बिलानाम’ दर्ज हो गया था। इसी का फायदा उठाकर तत्कालीन पटवारी चंचल दोषी ने यह जमीन फर्जी तरीके से ‘वाला पुत्र कालू’ और उसकी पत्नी ‘काली’ के नाम पर आवंटित कर दी। जबकि इस नाम के कोई व्यक्ति अस्तित्व में ही नहीं थे।

इसके बाद, साल 2005 में किए गए इस गलत आवंटन का फायदा उठाकर केशरी, मोहन, राजेश खटीक, रतन लाल खटीक, कल्याण सिंह, कैलाश नागदा, रसुल गनी, बानु बेगम, अनवर हुसैन, आशा हुसैन और इकबाल खान ने मिलीभगत से जमीन हड़पने की साजिश रची।

उन्होंने फर्जी तरीके से ‘वाला पुत्र कालू’ के स्थान पर ‘चाला पुत्र मरता’ का मृत्यु प्रमाण पत्र लगाया और जमीन का नामांतरण ‘वाला पुत्र मरता’ की पत्नी केशरी और पुत्र मोहन के नाम पर करवा लिया। इतना ही नहीं, उन्होंने राजस्व रिकॉर्ड में भी हेरफेर कर काली के नाम को काली उर्फ केशरी पत्नी वाला कर दिया।

इसके बाद, आरोपियों ने केशरी और मोहन से एक एग्रीमेंट राजेश खटीक, रतन लाल खटीक और रसुल गनी के नाम पर करवाया। फिर केशरी और मोहन से दो अलग-अलग पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाकर राजेश खटीक ने रतन लाल खटीक के नाम पर और रसुल गनी ने अपनी पत्नी बानु बेगम के नाम पर इस जमीन की रजिस्ट्री करवा ली। इन रजिस्ट्रियों में इकबाल खान, कल्याण सिंह, कैलाश नागदा और आशा हुसैन ने गवाह के रूप में हस्ताक्षर किए।

पुलिस ने बताया कि यह गिरोह इसी तरह फर्जीवाड़े से लोगों की जमीनों को हड़पने का काम करता है। पुलिस ने इस मामले में केशरी, मोहन, राजेश खटीक, रतन लाल खटीक, कल्याण सिंह, कैलाश नागदा, रसुल गनी, बानु बेगम, अनवर हुसैन, आशा हुसैन, इकबाल खान और तत्कालीन पटवारी चंचल दोषी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।

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